बहुत दूर छोड आये है हम
उन हकिकतों को..
अब कोई अफ़साना हमे पुकारता नही..
यह चराग रोशन तुमसे है..
अब वह अंधियारा हमे रास आता नही..
तुम्हांरी रुसवाई भी सर आंखोंपर
अब तुमसा हमे कोई भाता नही..
रह जाना इस दिल में मीठी याद बनकर..
अब तुम बिन हमसे जिया जाता नही..
छाया
२६.९.२०१२
उन हकिकतों को..
अब कोई अफ़साना हमे पुकारता नही..
यह चराग रोशन तुमसे है..
अब वह अंधियारा हमे रास आता नही..
तुम्हांरी रुसवाई भी सर आंखोंपर
अब तुमसा हमे कोई भाता नही..
रह जाना इस दिल में मीठी याद बनकर..
अब तुम बिन हमसे जिया जाता नही..
छाया
२६.९.२०१२