कितने फ़ासले तय करके..
कितनीही सांसों को पार करके..
जब हम तुम्हांरे पास पहुंचे..
तुम कहते हो..हम हम नही..
सच नही पर भरम भी नही...
क्या हो तुम..देवता..
पर वे तो मंदिरों में रहते है..
तुम तो बसे हो दिल में
मेरे लिए बस यही..
सच है...यही है सच..
भरम बिल्कुल भी नही...
तुम भी मत रहना...
भरम में...के...
तुम भरम नही.. सच नही..
वो तो समझता है...दिल मेरा..
जो है मेरा सच है...
कोई भरम नही....
?
२२.७.२०१२
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