Monday 30 July 2012

बात कुछ ऐसी है...


बात कुछ ऐसी है...
बातों बातों में कहदी कितनी सारी बातें..
पर फ़िर भी नही समझ आयी...
हमारी बात...
हम बातों सेही जी बहलातें है..
बातें ही बन जाती है जियां..
बात बात पर बातें हो...
यही बात चाहते है पिया..
बातोंमे कोई जोर नही..
तुम समझों बात हमारी..
बातं बातं समझकर भी..
बातें भूल जाना हमारी...
हम तो बतियातें जाते है..
तुम जबसें हो संग
चढा हुआ है बातोंपर जबतब..
बस तुम्हारा ही रंग...

?
२३.७.२०१२

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