बस बूंद भर हुं मै...
खाली एक प्याले में...
न गिरती हूं...ना बहती हूं..
बस देखें जाती हूं
कब सुख जाऊं मैं...
कब मिट जाऊं मैं...
कभी तो तुम..
छूकर...
उंडेल कर हथेलिओंपर...
सांसो में भरोगे...
मेरी खुशबु को..
या पता नही..
सुख जाये अरमान मेरे....
मेरे सुखने से पहले....
?
२२.७.२०१२
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