Monday 30 July 2012

पनाह मांग बैठे..


संग तुम्हारे राह चलते चलते..
जाने क्या..क्या मांग बैठे...
मुस्कुराहट तो थी हमारे पास..
तुम्हारे लबोंसे हमारा नाम मांग बैठे..
ललक भी तो थी आंखोंमे हमारे
तुम्हारी नजर से हमारा सुरूर मांग बैठे..
सुकुन ए दिल था जबकें
तुम्हारी शानोंसे रुमानियत मांग बैठे..
महकता दामन है हमारा फ़िर भी
तुम्हारी सांसो से हमारा रिश्ता मांग बैठे..
नींद ने किया था मदहोश तब..
तुम्हारी आगोश में पनाह मांग बैठे..

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१७..२०१२


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